परोपकार***
काले घनघोर बादलों तुम धन्य हो !
वसुंधरा की प्यास बुझाते हो।
शीतल करते हो तन को,
प्रीत का मान जगाते हो ।
सविता तुम धन्य हो, अंधियारे को हरते हो।
हे मानव तुम धन्य हो !
जो प्रेम प्रदान करते हो ।
बगिया के फूलों तुम धन्य हो,
जो सुगंधित करते हो संसार को।
शहीदों की शहादत में मुझे तोड़कर,
चढ़ा देना वीर जवान तुम ।।