परोपकारी का साथ
एक बार एक व्यक्ति था। वह किसी काम से अपने गांव से शहर की ओर जा रहा था। गांव से शहर के रास्ते में एक जंगल पड़ता था। जब वह उस जंगल में से गुजर रहा था तो उसे प्यास लगी और वह पास ही जंगल में बहने वाली नदी की तरफ गया। उसने पानी पिया और पानी पीने के बाद वापस लौटने लगा तो उसने देखा नदी के किनारे एक गीदड़ बैठा था जो शायद चल-फिर सकने के काबिल नहीं था। यह देखकर उसे बड़ा अचरज हुआ कि यह चल नहीं सकता तो फिर यह जीवित कैसे है, तभी अचानक उसे एक शेर की जोरदार दहाड़ सुनाई दी। वह व्यक्ति एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गया और इंतजार करने लगा। तभी वहां शेर आया जिसने एक ताजा शिकार मुंह में दबोचा हुआ था। शेर शायद अपना पेट भर चुका था इसलिए उसने उस शिकार को उस गीदड़ के सामने डाल दिया और चला गया।
वह व्यक्ति ये सब ध्यान से देख रहा था। उसने सोचा कि परमात्मा की लीला अपरम्पार है, वह सबके लिए व्यवस्था करता है। तभी उसके मन में विचार आया कि जब भगवान इस लाचार गीदड़ की मदद कर सकते हैं तो मेरी भी करेंगे। भगवान में गहरी आस्था थी इसलिए वह वहीं नदी के किनारे एक ऊंची चट्टान पर बैठ गया और भगवान की भक्ति करने लगा। एक दिन बीता, फिर 2 दिन बीते लेकिन कोई नहीं आया। उसकी हालत अब कमजोर होने लगी, फिर भी हठ पकड़ लिया कि भगवान मेरी मदद अवश्य करेंगे। समय बीता और वह व्यक्ति मर गया। मरने के बाद सीधे भगवान के पास पहुंचा और भगवान से कहने लगा, ‘‘भगवान, मैंने अपनी आंखों से देखा था जब आपने एक लाचार गीदड़ की सहायता की थी। मैंने आपकी जीवन भर सेवा की लेकिन आपने मेरी मदद नहीं की।’’
तब भगवान मुस्कुराए और कहने लगे, ‘‘तुम्हें क्या लगता है जब तुम जंगल में से जा रहे थे तब अपनी मर्जी से नदी पार गए थे और ये सब कुछ देखा था। नहीं, तुझे प्यास भी मैंने लगाई थी और तुझे नदी पर भी मैंने ही भेजा था लेकिन अफसोस इस बात का कि मैंने तुझे शेर बनने के लिए जंगल में भेजा था लेकिन तू गीदड़ बनकर आ गया।
गीदड़ तो कमजोर था वह घायल था तुम घायल नहीं थे फिर भी मुफ्त में पाने के लिए बैठ गए अरे तुमने शेर की तरह किसी की मदद करने की तो नहीं सोची!…..
शिक्षा…. परोपकारी ईश्वर का प्रिय होता है
उसी का ईश्वर साथ देते हैं ।।
बिना कर्म किये कुछ नही मिलता ।।