परेशान हो चुका हूं में शोर से _गजल/गीतिका
गुजर रहा हूं अव्यवस्थाओं के दौर से।
आवाजे उठ रही है यारो चारों ओर से।।
किया भरोसा निभायेगा काम इमानदारी से,
जिसे दिया उसने ही नहीं देखा गौर है।।
मुझे चिंता है मेरी वह मेरे परिवार की।
छोड़ घोसला उड़ जाता हूं मैं भोर से।।
यह मैंने किया वह मैंने किया, कहते हैं लोग।
सुन सुन परेशान हो चुका हूं मैं इस शोर से।।
जिधर देखता हूं सभी तो अधूरा मिलता है।
ऐसे में झटका लगता है मुझे बड़े जोर से।।
“अनुनय ” खुद की मान, अपने बारे में जान।
दुनिया कहां मानती है कभी किसी और की.।।
राजेश व्यास अनुनय