—-परीक्षा —-
जीवन एक परीक्षा है, हे पार्थ देते जाओ ।
आनन्द की खोज में, दिये की भांति जलते जाओ ।
सर्प अपना पोहा छोड़ देता है, हर छड़ में ये जीवन।
नव- नव रुप बदलता है, सात रंग के सपनों में
नवीनता के दीप जलाओ, जीवन एक परीक्षा है,
हे मानुष देते जाओ , हे मानुष तुम ना घबराओ ।
परीक्षा पर कभी भी, स्व की इच्छा नहीं होती
एक ही मछली सारे, तालाब को गन्दा करती ।
सरोवर के कीचड़ में, कुमुदिनी पुष्प खिलाओ।
जीवन एक परीक्षा है, हे पार्थ देते जाओ ।
जीवन फूल के भांति है, सुख-दुख राह के साथी है ।
राह भटकते राही को, सही-गलत में फर्क बताओ।
विश्वास रूपी पंखुड़ियों को, टूटने से बचाओ ।
जीवन एक परीक्षा है, हे मानुष देते जाओ ।।
स्व रचना – नीता त्रिपाठी…..