परीक्षा
हम अक्सर
परीक्षा से गुजरते हैं
मां का एक अंग होने पर ही
आरंभ हो जाती है परीक्षा
आखिर है कौन….??
जाने ….. तो….
हर पल होती है परीक्षा
धरा पर जब पग धरा
फिर एक नई परीक्षा
मां पिताजी की अपेक्षाओं पर
खरा उतरने की परीक्षा
बीता समय
फिर परीक्षा
समाज के मापदंडों पर
खरा उतरने की
क्षु धा हेतु जीवन संघर्ष
फिर से एक परीक्षा
वाचालता ,सभ्यता संस्कारों की परीक्षा विभिन्न परीक्षाओं हेतु
श्रेष्ठता के सोपान निर्धारित हैं
श्रेष्ठ,श्रेष्ठतर और श्रेष्ठतम अलंकरण सुशोभित हैं
परंतु अद्भुत है
उस शाश्वत सत्य की परीक्षा
सच अनूठी होती है
जिसमें सौ अंक लेने पर भी
उत्तीर्णता ही घोषित होती है
उत्तीर्णता ही घोषित होती है ।