परीक्षा ही बदले राहें
परीक्षा ही बदले राहें, नव राह दिखाती है।
परीक्षा ही जीवन में, नव सीख सिखाती है।
आत्मविश्वास आगे परीक्षा पीछे पाती है।
परीक्षा ही देखो सोने को कुंदन बनाती है। परीक्षा ही–
नतमस्तक है परीक्षा मेहनत के ही आगे।
झुकी हुई खड़ी है जो समय पूर्व ही जागे।
कभी असफलता मिल भी जाये परीक्षा से,
सफलता की प्रथम सीढ़ी बन सिखाती है। परीक्षा ही–
परीक्षा हर पल प्रतिदिन जीवन चलाती है।
जिंदगी के ख्वाबों की हकीकत बताती है।
हार जाता जंग भी जो पहले घुटने टेकता,
क्या घबराये परीक्षा से वीरो से कतराती है।परीक्षा ही–
परीक्षा है नहीं वो डिग्री ज्ञान की परीक्षा।
परीक्षा है क्षमता और अज्ञान की परीक्षा।
नहीं कभी इसमें कमतर स्वयं को आँकना,
परीक्षा है नव सृजन बदलाव की परीक्षा। परीक्षा ही—
(लेखक- डॉ शिव लहरी)