#परिहास-
#परिहास-
■ बातों बातों में…!
(प्रणय प्रभात)
आज रास्ते में बचपन का सहपाठी “शेर सिंह” मिल गया। लगभग मदमस्त होते हुए बोला- “यार! शायर बन कर शेर-शायरी करने का मन है। कोई अच्छा सा उपनाम (तख़ल्लुस) बता।”
मैंने भी बिना देर किए झोंक-झोंक में बोल दिया- “लॉयन रख ले। बोले तो शेर सिंह लॉयन।”
उसने चिंहुकते हुए पूछा- “हिंदी नाम के साथ अंग्रेज़ी उपनाम जंचेगा…?”
मेरे मुंह से बरबस ही निकल गया- “जंचे या न जंचे, मगर शेर ज़रूर दो से तीन हो जाएंगे। वो भी फ़ौरन। बिना किसी मेहनत के।।”
बंदे को बात में छिपी बात समझ में आई या नहीं, मुझे नहीं पता। पता है तो बस इतना कि चलते-चलते एक मज़ेदार किस्सा ज़रूर बन गया। अगले के शायर बनने से पहले।।
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