Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Oct 2024 · 1 min read

“परिस्थिति विपरीत थी ll

“परिस्थिति विपरीत थी ll
मगर उम्मीद थी जीत की ll

पिछली हार से‌ जाना,
हार नहीं वह सीख थी ll

आलोचनाओं को चुपचाप सुना,
हममें धेर्य था, हममें तमीज थी ll

कभी किसी ने सुना ही नहीं,
जबकि चुप्पी में बहुत चीख थी ll

हार की रार से पिघल चुकी थीं,
जीत पर आंखें क्यों न पसीजती ll”

26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
Ashwini sharma
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
"अनुरोध"
DrLakshman Jha Parimal
"गणित"
Dr. Kishan tandon kranti
*यादें कोमल ह्रदय को चीरती*
*यादें कोमल ह्रदय को चीरती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
" उज़्र " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बिना मांगते ही खुदा से
बिना मांगते ही खुदा से
Shinde Poonam
मेहनत करो और खुश रहो
मेहनत करो और खुश रहो
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
इस दिवाली …
इस दिवाली …
Rekha Drolia
मेरी एक सहेली है
मेरी एक सहेली है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ठीक है चंदन बनें, महका करें,
ठीक है चंदन बनें, महका करें,
*प्रणय*
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जब आए शरण विभीषण तो प्रभु ने लंका का राज दिया।
जब आए शरण विभीषण तो प्रभु ने लंका का राज दिया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट
इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट
Sarfaraz Ahmed Aasee
जनक दुलारी
जनक दुलारी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
THE FLY (LIMERICK)
THE FLY (LIMERICK)
SURYA PRAKASH SHARMA
स्तुति - गणपति
स्तुति - गणपति
DR ARUN KUMAR SHASTRI
डर  ....
डर ....
sushil sarna
रातें सारी तकते बीतीं
रातें सारी तकते बीतीं
Suryakant Dwivedi
* जिन्दगी की राह *
* जिन्दगी की राह *
surenderpal vaidya
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
gurudeenverma198
এটা আনন্দ
এটা আনন্দ
Otteri Selvakumar
4086.💐 *पूर्णिका* 💐
4086.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल _ अब दिल गूंजते हैं ।
ग़ज़ल _ अब दिल गूंजते हैं ।
Neelofar Khan
सबकी विपदा हरे हनुमान
सबकी विपदा हरे हनुमान
sudhir kumar
औरते और शोहरते किसी के भी मन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटका सकती
औरते और शोहरते किसी के भी मन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटका सकती
Rj Anand Prajapati
दहेज ना लेंगे
दहेज ना लेंगे
भरत कुमार सोलंकी
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पत्तल
पत्तल
Rituraj shivem verma
Loading...