परिस्थितियां और भगवत् स्मरण
परिस्थितियां और भगवत् स्मरण
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हम सब चाहे किसी धर्म के अनुपालक हों प्रतिदिन पाठ पूजा करते हैं।कितनी करते हैं? यह सब हमारी दिनचर्या और कार्यक्रम पर निर्भर करता है।
हमारा पूजा पाठ,भक्ति और भगवान के प्रति आस्था और सिमरन परिस्थितियों पर निर्भर करती है;यदि हम स्वयं दु:ख में हैं तो सबसे ज्यादा समस:परिवार का सदस्य तो उससे कम:यदि मित्र,संबंधी को पहले से थोड़ा कम;यदि दूर से जानने वाला हो तो ‘औह’ ले काम चला लो।छुट्टी के दिन थोड़ा ज्यादा;सारे मंत्र और आरतियां।नहीं ते धूप,अगरबती और दीये पर हाथ घुमाया और चल दिये काम पर। कहीं बाहर जाना हो तो कार,बस या गाड़ी में पढ़ लेंगें।हम हों हमारी आस्था हो या भगवान ही क्यों न हो सब ररिस्थितियों के अनुसार ही महत्व पाते हैं।समयानुसार भगवत् सिमरन की समय व्यवस्था:-
(1)कार्यालय जाते समय:-
दो मिनट कभी कभी तीन मिनट।एक मिनट एक मंत्र जाप;एक मिनट मंदिर में प्रतिष्ठित सभी देवी देवताओं की चरण वंदना।एक मिनट आरती लेना और कभी कभी धूप जलाना।
(2):-छुट्टी के दिन आधा घंटा:- दस मिनट माला पर अपने ईष्ट के मंत्र की माला जाप।कष्ट हरण जाप।धार्मिक पुस्तक पाठन; दस मिनट ।दस मिनट आसन जमा कर सस्वर आरतियाँ ।
(3)::–कहीं बाहर जाते समय पांच मिनट
मंदिर में हाथ जोड़ कर ठाकुर जी को प्रार्थना करना हम बाहर जा रहे हैं (शादी पर;पार्टी पर;घूमने;मां से मिलने आदि) तब तक आप रक्षा करना।
विभिन्न परिस्थितियों में हमारे विभिन्न तरीक़े होते हैं भगवान को प्रार्थना करके प्रसन्न करने के। आपका भी समय निश्चित समय होता है इसके अतिरिक्त यदि कोई और हो तो कमेंट करें और पाठकों को लाभान्वित करें।
—राजेश’ललित’