परिश्रम
परिश्रम भी जीवन एक दौर होता हैं।
बचपन नींद भर मौज मस्ती लेता है।
सच और हकीकत परिश्रम ही होता हैं।
अगर हम न मेहनतकश न बनते हैं।
मजदूर की सोच परिश्रम रहती हैं।
उसे प्याज रोटी बहुत भाती हैं।
परिश्रम ही हम सब की शान होती हैं।
तेरा मेरा रिश्ता कायम भी रहता हैं।
आज परिश्रम करते कल परिणाम आते हैं।
मेहनत कहो परिश्रम बस जीवन होता हैं।
आओ हम एक सोच परिश्रम की बनाते हैं।
अपना परिवार जीवन की राह जगाते हैं
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र