परिवेश और आदर्शवादिता का परिचय देता कहानी संग्रह ‘कितने पास कितने दूर’
पुस्तक समीक्षा:
पुस्तक: कितने पास कितने दूर
लेखक: आनंद प्रकाश ‘आर्टिस्ट’
प्रकाशक: सूर्य भारती प्रकाशन, नई सड़क, दिल्ली
पृष्ठ संख्याः96 मूल्यः 150 रू.
परिवेश और आदर्शवादिता का परिचय देता कहानी संग्रह ‘कितने पास कितने दूर’
-विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
‘कितने पास कितने दूर’ हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित हरियाणा के बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार आनंद प्रकाश ‘आर्टिस्ट’ का एक चर्चित एवं उपयोगी कहानी संग्रह है। युवा प्रेम, उसकी विवशता, ईष्र्या, घृणा, स्वार्थ, लोभ, आकांक्षा, धर्म और संस्कार आदि को इन्होंने अपने कहानी संग्रह में यथोचित स्थान दिया है। इसमें किसी देवता या महानायक को स्थान न देकर आम पात्रों को स्थान दिया गया है। इस कहानी संग्रह में कुल मात्र नौ कहानियां संग्रहीत हैं। ये सरल कथानाक और सरल भावनाओं से परिपूर्ण हैं। संग्रह के शीर्षक वाली कहानी एक ऐसे ग्रामीण युवक-युवतियों के प्रेम में गुंथी हुई कहानी है जो शिक्षित हैं, साहसी हैं, प्रेम में प्रगाढ़ता की प्रचुरता है और संस्कारों तथा आदर्श का प्रभाव भी उन पर देखने को मिलता है। उनका दायरा सीमित है जिस कारण वे आधुनिक नगरीय युवाओं की भांति बाहर नहीं निकल पाते हैं।
‘फूल तुम्हें भेजा है’ कहानी में अविनाश और अनामिका के अंतर्मन के उद्गारों को स्पष्ट अभिव्यक्ति मिली है। असफल प्रेम को सही मार्ग पर लाकर लक्ष्य साधक बनाकर दर्शाया गया है। यह लेखक की दूरगामी सोच का परिचायक है। चूंकि लेखक ग्रामीण अंचल में पला-बढ़ा है तथापि उन पर ग्रामीण संस्कृति, परंपरा और परिवेश का पूरा प्रभाव पड़ा है। प्रेम का बीज उनके मन भी अंकुरित हुआ था परंतु अपनी गरिमा और परंपरा का उल्लंघन करना कतई गवारा न था। उनकी दृष्टि में अध्यापक का चरित्र गरिमापूर्ण होना चाहिए। ‘मुहब्बत का दर्द’ कहानी दो दिलों की दास्तां को बयां करती हुई कहानी है जिसमें दो प्रेमियों के मन की टीस उभर कर पाठकों के मन को झकझोर देने में सफल हुई है।
इसी प्रकार कहानियों के अन्य कथानक भी शिक्षक जीवन, शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार, अपने-पराये की पहचान, कामकाजी महिला की समस्या आदि हैं जो वर्तमान ज्वलंत मुद्दों को उद्घाटित करने में सफल रहे हैं। आनंद प्रकाश आर्टिस्ट जी ने प्रत्येक कहानी की रचना करते समय पूर्ण सतर्कता बरती है। कहीं भी किसी विषय की अति नहीं होने दी है। किसी भी कहानी मुख्य पात्र या पात्रा को आहत होते नहीं दिखाया गया है। कहीं हत्या, आत्महत्या, या घर- परिवार के विरूद्ध भागकर शादी रचाने जैसे प्रसंग को नहीं उठाया गया है जिससे युवा पीढ़ी या समाज का कोई वर्ग उद्वेलित हो।
अंतिम कहानी ‘क्षमादान’ शीर्षक के अनुरूप अपने औचित्य पर खरी उतरती हुई प्रतीत होती है। एक चपरासी को सम्मान देना तथा गलती होने पर भी क्षमा कर देना लेखक की उच्च विचारधारा को उद्घाटित करती है और साथ ही एक आदर्श को स्थापित करने में सफल रही है। पूरे संग्रह में लेखक को आदर्श की एक सूक्ष्म रेखा में बंधा हंआ पाते हैं। संग्रह की कहानियां अपने-अपने शीर्षक के अनुरूप विषय-वस्तु के तहत सार्थक संदेश देने में सक्षम हैं। सरल बोलचाल की भाषा में सहज ग्राह्य कथानकों को लेखक ने अपना वण्र्य-विषय बनाया है। मुद्रण में अशुद्धियां बहुत कम हैं। लेखक के रंगीन चित्र युक्त आवरण सामान्य होते हुए भी काफी आकर्षक एवं प्रभावशाली हैं। मुझे विश्वास है आनंद प्रकाश ’आर्टिस्ट’ की सभी कहानियां आम पाठक के अंतर्मन को अवश्य स्पर्श करेंगी। सभी कहानियां पाठकों में लोकप्रिय होंगी। सभी कहानियां समाज सापेक्ष मूल्यों का परिचय देने के साथ-साथ अध्ययन की दृष्टि से उपयोगी एवं सहेज कर रखने लायक हैं। कुल मिलाकर लेखक अपने इस प्रयास के लिए साधुवाद का पात्र है।