परिवार
मीना यार ये क्या नाटक लगा रखा है रोज़ रोज़ कितनी बार कहा है बाहर जाना ही है तो कम से कम खाना तो बना दिया करो, मीना के घर में घुसते ही उसके पति विलास ने चिल्लाते हुए कहा। क्या तुम अपने लिए खाना भी नहीं बना सकते गुस्से में बोलते हुए मीना अपने कमरे मे
गयी। ये रोज़ रोज़ के झगड़े से तंग आ गया हूँ बड़बड़ाते हुए विलास वहीं सोफे पर बैठ गया। ये रोज़ की कहानी है इस घर की घर में पति पत्नी ही रहते हैं इनके दो बच्चे हैं जो हॉस्टल में रह कर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं और बेचारे कर भी क्या सकते हैं जब उनके माता पिता के पास समय ना हो बच्चों के लिए तो पैसों की कोई कमी नहीं है कमी है आपसी प्यार और समझदारी की पति विलास जहाँ नौकरी और पैसे जमा करने
में व्यस्त हैं वहीं पत्नी मीना अपनी सहेलियों के साथ किटी पार्टी में मीना के लिए उसकी किटी पार्टी अपने बच्चों के भविष्य से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। और जब कभी विलास उसे समझाने की कोशिश करते हैं तो मीना भड़क उठती है घर में क्लेश ना हो इसलिए विलास अधिकतर उसकी हरकतों को अनदेखा कर देते हैं। धीरे धीरे समय गुजरता है और इनके बीच दूरियाँ बढ़ती ही चली जाती हैं। कहते हैं ना इन्सान को जबतक ठोकर नहीं लगती वो सम्हलता नहीं है ऐसा ही कुछ इनके साथ भी हुआ । नौकरी में कुछ हेरफेर के कारण विलास को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा और सीना को फिजूलखर्च के लिए पैसे कम पड़ने लगे। अपनी सहेलियों से उधार लेकर या अपने गहने बेच कर वो अपना शौक पूरा करने लगी। इधर बच्चे बड़े होकर अपने अपने पैर
पर खड़े हो गये किन्तु माता पिता से कोई लगाव ना होने के कारण उनसे अलग रहते। दिन भर की भागदौड़ के बाद जो थोड़े बहुत पैसे मिलते वो भी मीना लड़ झगड़ कर अपने पति से ले लेती । उम्र के इस पड़ाव पर भी पत्नी के रहते हुए भी विलास खुद को एकदम अकेला समझते । एकदिन हिम्मत करके विलास ने अपने बच्चों को सबकुछ बता दिया विलास ने बताया की किस प्रकार मीना हमेशा से ही अपने लिए जीने वाली नारी रही उसने कभी भी अपने बच्चो और पति के लिए समय नहीं निकाला बच्चो की वजह से उसे अपने लिए समय नही मिलेगा इसलिए मुझसे झगड़ा करके तुमलोगो को हॉस्टल भेज दिया। मैं नहीं चाहता था की मेरे बच्चे अपनी माँ से नफ़रत करें मुझे लगता था समय के साथ मीना भी अपनी जिमेदारीयों को समझेगी पर मैं गलत साबित हुआ उसे तो अभी भी इस बात का तनिक भी एहसास नही है की वह जो कर रही है उसका परिणाम क्या होगा मुझे नही समझ रह की उसे किस तरह समझाऊँ। इतना सब हो गया और आपने हमें बताया तक नहीं बोलते हुए दोनों बच्चे विलास से गले लग गये सबकी आंखें नम हो गयी। और बच्चो के कहने पर विलास अपनी पत्नी मीना को छोड़कर बच्चों के साथ रहने लगे। इधर अकेले बिना पैसे के मीना का जीवन भी मुश्किलों से भर गया सहेलियों ने उधार देने से मना कर
दिया | उसका परिवार सबकुछ भुला कर उसका दिल से स्वागत करने के लिए तैयार था । आज उसके घर में उत्सव जैसा माहौल था |
लेखिका – Urvashi Jhunjhunwala Bagdia