परिवार
होता है वहाँ
महल
जहाँ होता
परिवार में प्रेम
ढह गये
महल वो
नहीं करते
माता पिता की
इज्जत
होती झोपड़ी भी
सुन्दर
रहते जहाँ
मेहनती
ईमानदार लोग
दिखाते ऊपरी
शानो-शौकत
महल
गरीब का है घर
ईश्वर का घर
सोचो सिर्फ
इतना ऊंचा
उड़ान हो सके
सफल
मत देखो सपने
महलों के
होता मुश्किल
पाना उन्हें
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव