परिवार दिवस
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संस्कारों से सिंचित होकर , बढ़ता है परिवार
और बाँधकर इक डोरी में,रखता सबको प्यार
रिश्ते – नाते तो जीवन में , होते हैं अनमोल
इनसे ही मिलता है हमको, खुशियों का संसार
15-05-2022
डॉ अर्चना गुप्ता
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रखी है ओढ़नी सिर पर बुजुर्गों की दुआओं की
हमें छू भी सकें आकर न हिम्मत है बलाओं की
हमारी ज़िन्दगी में ये खड़े रहते हैं बरगद से
न चिंता मेघ की हमको न तपती इन हवाओं की
डॉ अर्चना गुप्ता
22-05-2022