– परिवार आज कल टूट रहा –
– परिवार आज कल टूट रहा –
भाईयो की नियत हुई खराब,
नही रहा अब पहले जैसा प्रेम,
भाई -भाई के हिस्से को हथियाने को,
कर रहा प्रयास चल रहा विष भरी चाल,
पहले होता था बड़ा भाई पितातुल्य,
और भाभी मां के समान,
आज वही पिता और मां बिछा अपने पुत्र समान अनुज के जीवन में कांठो का जहां,
नियति को दोष न देना कभी,
पड़ गई है नियत में उनके खोट,
बड़े भाई का फर्ज जो होता,
भाभी के चंगुल में आने से भाई कर नही रहा निवाह,
माता पिता की भी सेवा कर नही वो पाए,
किंतु पिता की संपति को वो जरूर चाहे,
पिता तो पिता होता है होता प्रभु के समान,
माता पिता है धरती पर ईश्वर का स्वरूप जिनको तू मान,
रिश्तेदारों की कानाफूसी और बीबी की बात मानने से परिवार को हो रहा नुकसान,
आजकल भरत देख ले,
गहलोत परिवार आजकल टूट रहा,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान