परिवर्तन
देखते ही देखते धूप छांव में बदल जाती है ।
जो चीज है अपनी वो पराई बन जाती है ।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है ,शायद इसीलिए इंसानों की भी प्रकृति बदल जाती है।
कैसे खुशी गम ,गम खुशी में बदल जाती है ।
होता है सब कुछ आंखों के सामने आंखें हैं कि बस देखती रह जाती हैं।