” परिवर्तन “
एक दिन अनायास ही घर पर बैठे बैठे
पूनिया के मन में था एक ख्याल आया
बदल गया ना कितना सब कुछ आज
सूना सूना मंजर सब नज़र है आया,
बहका सा हर कोई आज विचरण करे
भटका भटका सा रास्ता है गहराया
लबों की मुस्कान तजदी सभी ने
मन को सेल्फी मुस्कान से बहलाया,
व्यस्तता भरी जिंदगी बढ़ाती है बैचेनी
पापी पेट ने सबका अलगाव करवाया
परिवार से दूर रहने को मजबूर आदमी
एकल परिवार में भी पृथक घर जंचाया,
रिश्ते नाते बच्चों के लिए बने इतिहास
पश्चिमी सभ्यता ने अपना डंका बजाया
पहूंच बढ़ी सोशल मीडिया से हर वर्ग की
बनावटी आवरण से सबने चेहरा पुताया।
Dr.Meenu Poonia