Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2024 · 3 min read

परिवर्तन ही स्थिर है

परिवर्तन ही स्थिर है

भूमिका
उसने कहा –
“मृत्यु ही सत्य है”
मैने पूछा कैसे?
उसके बाद बचता ही क्या है– उसने उत्तर दिया
मैने कहा–
मृत्यु के बाद भी परिवर्तित होती हैं आत्माएं
नए शरीर में
नए रूप में
कहती हैं धार्मिक पुस्तकें

सारांश
शरीर के मर जाने से
नहीं मरता व्यक्तित्व, जीवित रहती हैं स्मृतियां
आत्मा हो जाती है परिवर्तित
परिवर्तन नयापन का
नयापन बेचैनी का, संतुष्टि का, ख़ोज का….

उसने कहा ‘झूठ’
सत्य भी बदलकर बन जाता है झूठ, मैने कहा
वह हँसा और सुनने लगा

मैने शुरू की कविता कि

नई भाषा में
बदलते हैं शब्द
कथानक
नई कहानी में
घटना
नए ढंग में

आते हैं नए पत्ते
पुराने पत्तों के झड़ने के बाद
अंत होता है
विशालकाय बरगद का भी
लेकिन जन्म लेता है
नए शिशु की तरह अति सुंदर
पतला छरहरा बांस भी सूखता है
फिर बदलता है नए कपोले के रूप में

बार-बार नई फसलें जन्म लेती हैं
कभी अधिकता में कभी न्यूनता में
लेकिन हमेशा एक समान नहीं

हवा बदल लेती है अपनी गति
कभी-कभी पानी भी
सूरज भी कहां एक समान रहता है
जब भी दिखा देता है अपनी लाल आंखे
पड़ जाता है सूखा और अकाल

बादल भी शहरों को देखकर बरसता है
कभी-कभी नदियों को कर देता है जलमग्न
फिर कभी सूखे रेत में छोड़ देता है उनकी खाली पेट को
धरती भी हर क्षण बदलती रहती है
लट्टू की भांति एक अक्षांश पर

मैं और हम सभी बदलते हैं
हर समय, हर रोज़ एक दूसरे के सामने
बदलते देखते हैं सबको
ईश्वर भी बदल जाते हैं
सभी के

बदलती हैं मान्यताएं
गढ़ी जाती हैं धारणाएं
समय के साथ
समय भी सभी का एक-सा नहीं होता

सदी का समय सौ सालों में
बदलाव का होता है समय
शताब्दियों, दशकों में बदल जाती हैं प्रवृत्तियां
साहित्य की

घटनाएं भी बदल जाती हैं इतिहास की
नए सिरे से
जब भी कोई नया शासक होता है तख्तासीन

पुराने से नए के प्रति सहानुभूति
देती है प्रजा कुछ समय के लिए….

फिर?… उसने गंभीर होकर पूछा

होकर तंग बदल देती है प्रजा
नए शासक को भी
फिर बदलता है समाज भी निरंतर
नए विचारों के साथ

परिवर्तित होती हैं मनोवृत्तियां हमारी
पुरानी अवधारणाओं से
नई धारणा और मान्यताओं के अनुसार
परिवर्तित होते हैं हम धीरे-धीरे
बनाते हैं रास्ते भविष्य के अनुचरों के लिए

ताकि बदल सकें अपनी वर्तमान की
घिसी पीटी, लड़खड़ाती, बे-सूरी, शासन-अनुशासन….
बना सकें नई जीवन-शैली, तंत्र-वन्त्र…

रुको तुम अब पॉलिटिकल हो रहे हो – उसने रोका मुझे

मधुमक्खी हर चांदनी रातों में
चूस लेती है अपनी ही रस
वैसे ही
हर महीने जंगल की एक परिधि
रेस्टोरेंट में बदल जाती है
हर साल बढ़ता है शहर
और घट जाता है गांव कई किलो मीटर

इस तरह
इस तरह बदल रही है दुनिया
तेज़ी से
उसी गति से बदल रही है
हमारी प्रकृति, पर्यावरण

पानी जीवन के लिए
जीवन के लिए हवा
बदल रहा है प्रतिशत में

बदल रहा है न सब?– मैने पूछा

हाँ में सहमति देकर बोला–
बदलना रुकेगा कब?
स्थिर होगा कब?

मैने उत्तर दिया–
क्योंकि
‘परिवर्तन ही स्थिर है’
यह कभी नहीं रूकता
यही निरंतर बदलने की प्रक्रिया है
अटल है, स्थिर है

उसने घंटों सोच में बिताए, बिलकुल चुप
यह उसके अंदर नया बदलाव था
सोचने की प्रक्रिया में रहना

–अभिषेक पासवान

Language: Hindi
66 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...