समय-सुगति पहचान , यही है संसारी सच
सच बसंत ऋतु आ गई,कोंपल बनी प्रधान|
प्रिया होंठ मुस्कुराहट, छोड़ें, तज अवशान||
छोड़ें, तज अवशान,फूल पर भँवरा आया|
शुभ पुरवाई संग, शांतआँचल लहराया||
कह “नायक” कविराय,परिंदे नचें व्योम बिच|
समय-सुगति पहचान ,यही है संसारी सच||
बृजेश कुमार नायक
जागा हिंदुस्तान चाहिए एवं क्रौंच सुऋषि आलोक कृतियों के प्रणेता
छोड़ें=बंधन से निर्मुक्त करें
प्रिया=पत्नी