*”परिवर्तन नए पड़ाव की ओर”*
“परिवर्तन नए पड़ाव की ओर”
यूँ तो हम एक जगह रहते हुए ऊब जाते हैं कुछ दिन बाद जगह परिवर्तन हो या कहीं इधर उधर घूमने जाए आबो हवा बदल जाये तो मन अच्छा लगता है।
कभी कभी परिवर्तन से शरीर में भी बदलाव सोचने समझने में भी धीरे धीरे एकदम से अलग प्रभाव पड़ता है।
एक ही जगह वही कार्य को करते हुए भी समझने की शक्ति खत्म होने लगती है और मन भी नकारात्मक विचारों से ओत प्रोत हो जाता है बहुत सी दृष्टिकोण से नजरिये से देखा जाए तो समय के साथ साथ परिवर्तन आबो हवाओं में बदलाव जरूरी होता है।
कभी कभी कार्यभार संभालने के बाद हम थकान महसूस करते हैं और लगता है कि अब कुछ नया मोड़ नई दिशा नए पड़ाव की ओर कुछ बदलाव लाया जाए ताकि फिर से नई ऊर्जा शक्ति मिले।
अंदर से स्फूर्ति आ जाये उसके लिए परिवर्तन करना जरूरी होता है। कहीं भी ज्यादा देर तक रहते हुए मन मे ऊब या खीज सी उत्पन्न होने लगती है इसके अलावा काम करते हुए कुछ देर विश्राम या अंतराल भी होना चाहिए ताकि शरीर कुछ देर के लिए नई ऊर्जा ग्रहण कर नए पड़ाव की ओर मंजिल तय करने के लिए आगे कदम बढ़ाए ।
नए पड़ाव की ओर जाने के लिए बहुत सी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है लेकिन कुछ पलों बाद सुकून मिलता है राहत मिलती है क्योंकि हर समय काम की अधिकता में कुछ सूझता नही है। चिड़चिड़ापन आने लगता है गुस्सा भी आता है कई बार समझ नही आता है हम क्या करें क्या नही क्यों इतना परिश्रम करने के बाद भी अकेले परेशान रहते हैं।
इसका कारण है लगातार कार्य करने के बाद शरीर में ऊर्जा शक्ति कम होने लगती है और थकान महसूस होती है बहुत से कारणों को समझने के बाद भी कार्य करने के लिए जुटे रहते हैं लेकिन कुछ पल विश्राम या जगह परिवर्तन करने से शरीर भी नई दिशा की ओर आकर्षित हो अपने आपको जीवन में बदलाव के बाद ही अच्छा महसूस करते हैं।
परिवर्तन ही गति का नियम है और गति को बदलने के लिए कुछ देर थमना पड़ेगा वरना चलते चलते कभी एकदम से रूक गए तो मुश्किलें खड़ी हो जाएगी।
जीवन में कुछ समय बाद बदलावों को लाना जरूरी है क्योंकि बदलते समय में अपने आपको ढालना भी बेहद जरूरी है।
समय व विपरीत परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है अपने आपको समय के ढालने का तरीका अपनाया जाना चाहिए।
शशिकला व्यास ✍
जय श्री राधेय जय श्री कृष्णा 🌹