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10 May 2017 · 1 min read

परिवर्तन चरम पर है

?परिवर्तन चरम पर है?

परिवर्तन चरम पर है
जीवन सरल,जटिल हो गया है
सदय हृदय,कुटिल हो गया है
गाँव थे,शहर बन रहे हैं
शहर ये जहर भर रहे हैं
बुढ़ापा देखो डरा हुआ है
बचपन जाने कहाँ छुपा है
नहीं मिलता मरहम पर है
परिवर्तन चरम पर है

पूरा क्या है,अधूरा क्या
क्या अच्छा है,बुरा क्या
सच्चाई है अब बकवास
सदाचार न आता रास
बदल कर जमाने को
धरती स्वर्ग बनाने को
मानव अधरम पर है
परिवर्तन चरम पर है

धन ही आज ईमान बना है
परमाणु भगवान बना है
अपना कौन,पराया कौन
अन्तर्मन पर छाया मौन
हड़बड़ी में भाग रहे हैं
सोये हैं या जाग रहे हैं
रुकता नहीं कदम पर है
परिवर्तन चरम पर है

स्त्री का उत्थान हुआ है
सर्वसुलभ अब ज्ञान हुआ है
भेद कर आकाश को भी
धरती और पाताल को भी
सुख साधन जुटा लिये हैं
हमने पर्वत झुका दिये हैं
मानव इस अहम पर है
परिवर्तन चरम पर है
✍हेमा तिवारी भट्ट✍

Language: Hindi
268 Views
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