परिवर्तन की बयार
(समीक्षार्थ)
परिवर्तन का बयार
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कैसी ये उल्टी बयार
बढ रहा है पापाचार,
हर तरफ है अत्याचार
साथ चलते जाइये।
जोर है पाश्चात्य का
शोर है सर्वनाश का,
तोड़ क्या बेइमान का
मार्ग तो सुझाईये।
सत्य आज शोकग्रस्त
सत्यार्थी रोगग्रस्त,
इमानदारी मोहग्रस्त
पाप को जलाइये।
धर्म आज शर्मसार
चहुओर दुराचार,
व्याप्त कण -कण भ्यविचार
आत्मबल जगाइये।
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✍✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार……८४५४५५