*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
01/08/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
प्रसून।
खुशियाँ दे दून।।
कभी कुछ भी लेता नहीं।
सुगंधित करता है प्रकृति को,
सोच इस तरह तू क्या संसार को देता।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
कानून।
कभी मत तोड़ो।
लड़कपन अब छोड़ो।।
महान भारत के नागरिक हो,
कानून विरोधी मत बन अफलातून।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
नाखून।
काटते रहो,
मत बनो तुम कार्टून।
स्वच्छता सभ्यता का द्योतक बने,
भारतीयता छोड़ रहे युवक सैलून।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
जुनून
लक्ष्य सिद्धि हेतु
अत्यावश्यक है हे मित्र!
तुमसे पूछता सोच के बताओ
कौन सा लक्ष्य है तुम्हारे इस जीवन में।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय