*परिचय*
परिचय
काशीसुता ‘प्रतिभा’ मन मोहक रंग-ढंग सी,
गंगाजल सी तरल, सरल मतवाली भंग सी।
प्यारी सुजीत की,
श्रावणी काव्य से मन मानस को सींचती ,
अगस्त्य के कमंडल की तोय कावेरी अभंग सी |
मुझ अनाथ का विश्वनाथ रखवाला ,
तिरूमनम्म्, बालाजी दरबार पहुंचाये मृगछाला ।
बी एच यू नेट पास पहुंची साहित्य के सानिध्य ,
आप के समर्थन से होता ‘प्रति’ का बोलबाला ।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई