परिंदे घर से निकले हैं
अमन की बात पे नाखुश, हुआ करते हैं अक्सर जो,
आज सरहद पे कुछ ऐसे, दरिंदे घर से निकले है।
कभी ना आँच आएगी, माँ आँचल में अब तेरे,
करने उनके कलम सर को, परिंदे घर से निकले हैं।
अमन की बात पे नाखुश, हुआ करते हैं अक्सर जो,
आज सरहद पे कुछ ऐसे, दरिंदे घर से निकले है।
कभी ना आँच आएगी, माँ आँचल में अब तेरे,
करने उनके कलम सर को, परिंदे घर से निकले हैं।