“परिंदा की सीख”
एक परिंदा उड़ रहा ,शब्दों के संसार में।
शब्द दिखलाए ,सीख सिखाए, शब्दों के भंडार में।।
नन्हे परिंदे साथ हो लिए, इस सीखने के संसार में।
उड़ते -फिरते ,गिरते – संभलते, रसों के संसार में।।
नन्हा परिंदा जब उड़ ना पाए, विद्वत परिंदा आके संभाले।
साथ उड़ान भरा ले जाए , रवि के अनछुए संसार में।।