पराया तो पराया ही होता है,
पराया तो पराया ही होता है,
अपना भी पराया ही होता है,
पराये तो दिल दुखाते ही हैं,
अपने जब परायापन दिखाते हैं,
भावनाओं को ठेस पहुॅ़ंचाते हैं,
रिश्ते का मर्म न समझ पाते हैं,
तो हम दु:ख से सहम जाते हैं…
शायद वे रिश्ते की अहमियत ही
नहीं समझ पाते !
वे यह नहीं जान पाते कि
रिश्तों में अपनापन ही तो
जीवन को आनंदमय बनाते हैं।
…अजित कर्ण ✍️