धरती माँ
सबसे स्वर्णिम धरती हमारी ,
मातृ का अनुराग देती हमें ,
संतापों में हमारा साथ निभाती ,
ऐसी प्राणेश्वर हमारी धरती माँ है ।
जब हमारे देशद्रोहियों ने ,
जला दिया हमारा खाधन्न ,
तब धरती माँ अपने कुक्षि से ,
समपर्ण किया अलुआ खाधान्न ,
ऐसी हमारी धरती माँ है।
सबसे उर्ध्व धरती माँ हमारी ,
वेदनों को हृदय में छुपायी ,
हमारा कार्यान्वयन करती ,
अपनों की करुणा सहने वाली ,
अपने संतति का रुधिर श्रवता ,
अंबकों के सुरम्य ही यह ,
कठपुतली गढ़ देखती रहीं।
ऐसी संतान त्यागी धरती माँ है।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या