“पराधीन आजादी”
“पराधीन आजादी”
इतिहास लिख दिया 15 अगस्त को
वीर बांकुरो ने शहादत देकर,
अंग्रेजी चिड़िया को फुर्र से उड़ा दिया
देश की मिट्टी ललाट से समेट कर।
राजगुरु,सुखदेव,भगत सिंह जब
बांधकर सिर पर कफन चले थे,
बारूद की दनादन से परखच्चे उड़ गए
गौरों के शीश असेंबली में झुके थे।
जाने कितने अनगिनत सेनानी
भारत माता पर कुर्बान हुए थे,
आज- सी हमारी आजादी की खातिर
जुल्मी फिरंगीयों की बलि चढ़े थे।
कुर्बान हुए वीर सपूत यह सपना संजो कर
भारत माता को चंगुल से छुड़वाएंगे,
बेड़ियां तोड़ेंगे गौरी जंजीरों की
नए वंश निज चमन में सांस ले पाएंगे।
नहीं सोचा था शहादत का कोई
परिणाम निकल नहीं पाएगा,
कहने को तो आजाद हो जाएंगे हम, लेकिन
इंडिया तले हिंदुस्तान पराधीन हो जाएगा।
मातृभाषा हिंदी घुट गई स्वयं के ही देश में
ऐसे तो भारत आजाद हो नहीं पाएगा,
जब तक धारा पढ़ेंगे अंग्रेजी में हम
अस्तित्व हमारा पराधीन ही कहलाएगा।
हां ! यही तो है हमारी पराधीन आजादी
संविधान की भाषा भी अंग्रेजी ही बना दी,
गौरों की बू तो अब भी आ रही
मीनू आज ये क्या खूब कह गई।
Dr.Meenu Poonia