पराजय
पराजय नहीं
जय है तेरी हर तरफ
हर गात नहीं
सानी तेरी बात का
कथ्य हिंडोला सा
हर नज़र यूं बढ़ा
शनैः शनैः
चकाचौंध करता
हृदय में उतर चला
वो नहीं खाविंद
तेरी तहरीर के
ये अधबुझे सितारे
तमाशवीन हैं बस
कालांतर से
संग रहे
बेजुबां अहमक से
लौट आते है
पुनः चांद की
तलाश में
चूंकि रोशनाई
जय में नहीं
पराजय में है
मनोज शर्मा