Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2020 · 7 min read

परहेज़

परहेज़ किसी फिज़िशियन अथवा काय चिकित्सक के परामर्श का एक प्रमुख अंश होता है जिसमें वह रोगी को उसके do’s & don’t उसके खान-पान , आचार , व्यवहार , जीवन शैली के बारे में बताता है प्रायः सभी रोगी परामर्श के इस अंश को जरूर विस्तार से समझना चाहते हैं पर चिकित्सक की निगाह में जहां खानपान में मुख्यतः वसा , कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन आदि होते हैं वहीं रोगी के दिमाग में जाकर इसके इतने असंख्य रूप जन्म ले लेते हैं जितने उत्तर वर्तमान एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में एक चिकित्सक के पास नहीं हैं । सदियों से प्रचलित हकीमी यूनानी और आयुर्वेदिक उपचार की विधियों ने उन्हें इस पथ्य अथवा परहेज़ संबंधित प्रश्नों को और अधिक बल दिया है ।
==========
एक बार डॉ पंत जी दोपहर के समय अपना ओपीडी समाप्त कर उठने वाले थे कि उनका उस दिन का आखरी मरीज परहेज़ जानने पर अड़ा था और काफी समय से खानपान के विषय में उनसे प्रश्न किए जा रहा था और वे उत्तर दिए जा रहे थे । अंत में पंत जी ने संकल्प के साथ निर्णय लिया कि अब वे उसके किसी प्रश्न का उत्तर नहीं देंगे और वे अपने होंठ भींच कर मौन धारण करते हुए अपने ओपीडी कक्ष से बाहर आ गए तथा उन्होंने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा । कक्ष से बाहर निकलकर बरामदा पार करते हुए वे जब वे अस्पताल के प्रांगण में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि दूर से एक वृद्ध दौड़ता हुआ उनकी ओर भागा चला आ रहा है , उन्होंने अपने कदम वहीं रोक लिए और उसके पास आने का इंतजार करने लगे कुछ ही क्षण में वह वृद्ध हांफता हुआ उनके सम्मुख आकर खड़ा हो गया और हाथ जोड़कर विनती करता हुआ बोला
‘ डॉक्टर साहब प्लीज एक मिनट एक बार फिर से बता दीजिए चावल खा सकते हैं कि नहीं ? ‘
पंत जी के आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उन्होंने ने देखा कि यह वही व्यक्ति है जिसे वे अपने ओपीडी के कक्ष में अंतिम मरीज के तौर पर उसके इसी अंतिम प्रश्न को अनुत्तरित छोड़ कर ओपीडी कक्ष से बाहर आ गए थे । जितनी देर में वे ओपीडी से बाहर आकर इतनी दूरी तय करते उतनी देर में उस वृद्ध ने उनके कक्ष से निकल कर पूरे अस्पताल का एक चक्कर काटा और घूम कर उन्हें सामने से घेर कर उनका रास्ता रोक कर फिर वही प्रश्न दोहराने के लिए खड़ा हो गया । अब पन्त जी ने हार मान ली और उसको चावल खाने की सलाह देते हुए घर की ओर चल दिए । उस दिन के पश्चात से उन्होंने तय किया कि जब तक किसी मरीज के सारे प्रश्न समाप्त नहीं हो जाते वे मौन धारण नहीं करेंगे ।
=================
इसी प्रकार एक बार एक सज्जन डॉ पन्त की से परहेज के संबंध में पूछने के लिए अपने घर से एक बहुत लंबी सूची को एक लंम्बे से कागज़ पर लिख कर उसको गोल गोल बेलन के आकार में लपेट कर लाये थे तथा कौन सी चीज खानी है और कौन सी नहीं इसके बारे में सारणी बना रखी थी जिसमें एक व्यंजन सामिष और दूसरा निरामिष होता था । अपनी उस सूची को धीरे धीरे खोलकर उन्होंने पूछना शुरू किया की उसमे से क्या खा सकते हैं क्या नहीं और पंत जी हां ना , हां हां , ना ना करते गए और वह पूछता गया और पंत जी अपनी राय देते रहे । अंत में उसकी जब उसकी सूची समाप्त होने वाली थी जिसके आखिर में उसने पूछा
‘ साहब बकरी के पाए और आमियों का अचार खा सकते हैं ?’
बस डॉ पन्त जी को मना करने का मौका मिल गया और उन्होंने उसे यह खाने को मना कर दिया । पर उस दिन से अपना पिंड छुड़ाने के लिए और पायों के प्रति अपने रोगियों में इतनी रुचि देखकर उन्होंने इस व्यंजन को अपने अपने शक्तिवर्धक नुस्खे में शामिल कर लिया और जब कोई रोगी उनसे शक्ति वर्धक गिज़ा के बारे में पूछता तो वे उसे पाए खाने के लिए बताया करते थे । काफी दिनों तक पायों के प्रति रोगियों का अनुपालन बहुत अच्छा रहा । पर एक दिन वे पाए बताने पर फंस गए जब उन्होंने किसी दंपत्ति को बतौर गिज़ा पाए बताए तो उसकी पत्नी ने पूछा
‘ साहब छोटे के कि बड़े के ? ‘
फिर पूछा
‘ सूप बनाकर के दूं या भून कर ? ‘
वह फिर बोली
‘ क्या उसमें गोल मिर्च डाल सकते हैं ?’
उसके इन प्रश्नों से घबराकर अब पंत जी ने अपना दिल सामने खोल कर रख दिया और कहा बहन जी जिस विधि से आप बनाती हों मुझे बताइए और जिस प्रकार के पाए इन्हें पसंद हो इनके स्वाद के अनुसार पकाकर खिलाइए । उस दिन से डॉ पन्त जी गिज़ा के तौर पर पाए बताने में अतिरिक्त सावधानी बरतते हैं ।
===================
कभी-कभी परहेज़ बताते हुए डॉ पंत जी रोगी के अंतहीन प्रश्नों से ऊब कर रोगी के प्रश्नों का उत्तर हां या ना में देने लगते हैं । ऐसे में अक्सर चतुर चालाक मरीज उनके इस भाव को पहचान कर उनकी परीक्षा लेने के लिए उन से घात लगाकर नकारात्मक प्रश्न कर बैठते हैं । उदाहरण के तौर पर वे पूछेंगे डॉक्टर साहब क्या मैं गुड़ और दालमोठ खा सकता हूं और यदि कहीं पन्त जी के मुंह से अनायास ही अनजाने में निकल गया
‘ हां ‘
तो वे उन्हें मानों सोते से जगाने का प्रयास करते हुए बताएंगे कि डॉक्टर साहब मुझे तो मधुमेह और उच्च रक्तचाप है और आप मुझे मीठा और नमकीन खाने की सलाह दे रहे हैं !
क्या यह ठीक है ?
==================
एक बार एक परिचित के घर में पन्त जी मिलने गए तो उन्होंने अपनी दादी के उपचार के दस्तावेज पंत जी के आगे रख दिये और उनसे उनकी बीमारी के बारे में पूछने लगे । यह प्रायः हर चिकित्सक के साथ होता है वह जहां कहीं मिलने जाता है लोग अक्सर अपनी बीमारियों के बारे में स्पष्टीकरण जानना चाहते हैं कि आप घर के आदमी हैं हमें सही-सही बताएंगे कि हुआ क्या है । पंत जी उनकी फाइलों को देख कर उनको उनका विवरण समझा रहे थे तभी सामने से एक अत्यंत बुजुर्ग करीब आए और उन्होंने उस वृद्ध महिला की ओर उंगली से इशारा करते हुए पूछा
‘ डॉक्टर साहब इनका परहेज क्या है ? ‘
उनकी बात को सुनकर पन्त जी ने कहा की कोई विशेष परहेज नहीं है । वह सब जो घर में बनता है ये खा सकतीं हैं । यह सुन कर वे व्रद्ध लौट गए और अभी पंत जी ने अपनी बात पूरी नहीं की थी और वे आधा आंगन पार करके अपने कमरे तक नहीं पहुंच पाए थे कि वहां से लौट कर आ गए और बोले
‘ डॉक्टर साहब इनका परहेज क्या है ?’
पन्त जी ने फिर वही उत्तर दे दिया कि कोई परहेज नहीं ये सब खा सकती हैं ।
वे हां में हां मिलाते हुए गए और आधे रास्ते से फिर लौट कर बार बार फिर वही प्रश्न करने लगे ।
इस बीच वे दादी उनसे बार बार कह रहीं थीं
‘ तुम अपने कमरे में चलो , हम अभी आतीं हैं ।’
बार बार उनकी इस हरकत को देख कर अब घर के अन्य सदस्यों से नहीं रहा गया और उन्होंने डॉ पन्त जी को बताया कि यह हमारे दादाजी हैं ।
इस समय इनकी उम्र 88 साल से अधिक है और यह हमारी दादी हैं इनकी उम्र 58 साल से अधिक है । जब हमारे दादा जी 55 साल के थे तब उन्होंने हमारी दादी जो उम्र में इनसे 33 साल से अधिक छोटी हैं से विवाह किया था । अपनी पत्नी को जीवन भर इन्हों ने बहुत प्यार किया है और अभी भी उनका बहुत ध्यान रखते हैं । इस बुढ़ापे में यह बाकी सब बातें भूल गए हैं इनकी याददाश्त चली गई है पर अभी भी ये अपनी पत्नी – हमारी दादी के प्रति चिंता और प्यार इनके मन में हर समय रहता है और इसीलिए ये बार-बार आकर इनका परहेज पूंछ रहे हैं ।
==================
एक बार डॉ पन्त जी का एक शराबी रोगी जो उनके एल्कोहलिक लिवर की बीमारी के कारण नियमित रूप से उनके उपचार में चल रहा था 3 माह पश्चात जब उसकी लिवर की जांच सामान्य आने पर पंत जी ने उसे बधाई दी और कहा कि आपके परहेज़ और जीवन शैली में बदलाव के फलस्वरुप अब आपका लिवर ठीक है और आगे से उन्हें इन दवाओं की इतनी आवश्यकता नहीं है तथा उसे कुछ विटामिन की गोली लिखकर परामर्श समाप्त किया । वह व्यक्ति उनके कक्ष से संतुष्ट होकर बाहर चला गया , फिर कुछ देर बाद लौट कर आया और कक्ष का थोड़ा सा दरवाजा खोला और अपना सर अंदर घुसा कर चेहरे पर खुशी ला कर चहता हुआ बोला डॉक्टर साहब मेरे लिवर की रिपोर्ट नॉर्मल आ गई हैं तो क्या मैं आज से शराब पीना शुरू कर सकता हूं ? हर रोगी परहेज़ को अपने दृष्टिकोण से देखता एवं समझता है और अपने भले की बात उसमें से निचोड़ लेता है ।
===============
जहां फिजीशियन पंत जी को परहेज बताने के लिए अपने सारे दिमाग का मंथन कर लंबे-लंबे अनुच्छेद बोल कर समझना पड़ता है वहीं डॉ श्रीमती पंत जी मात्र तीन अक्षर बोलकर परहेज बताने की इतिश्री प्राप्त कर लेती हैं । जहां किसी उनकी महिला मरीज ने पूछा
‘ मैंंम परहेज ? ‘
प्रायः उनका उत्तर होता है
‘ पति से ! ‘
उनके बताये इस विशिष्ट परहेज़ के पीछे संसार के पतियों के विरुद्ध कोई पूर्वाग्रह था या उनके चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई और अनुभव , पन्त जी के लिए यह एक अनबूझ पहेली ही रहा ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 368 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पल का मलाल
पल का मलाल
Punam Pande
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
Dr. Man Mohan Krishna
न छीनो मुझसे मेरे गम
न छीनो मुझसे मेरे गम
Mahesh Tiwari 'Ayan'
Touch the Earth,
Touch the Earth,
Dhriti Mishra
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
पूर्वार्थ
तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
अजहर अली (An Explorer of Life)
😊अपडेट😊
😊अपडेट😊
*Author प्रणय प्रभात*
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
आनंद प्रवीण
💐प्रेम कौतुक-454💐
💐प्रेम कौतुक-454💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ऋतु सुषमा बसंत
ऋतु सुषमा बसंत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
दोस्ती
दोस्ती
Rajni kapoor
लेखन-शब्द कहां पहुंचे तो कहां ठहरें,
लेखन-शब्द कहां पहुंचे तो कहां ठहरें,
manjula chauhan
मेरे मन के धरातल पर बस उन्हीं का स्वागत है
मेरे मन के धरातल पर बस उन्हीं का स्वागत है
ruby kumari
भय भव भंजक
भय भव भंजक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पहले प्यार में
पहले प्यार में
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
*गीता के दर्शन में पुनर्जन्म की अवधारणा*
*गीता के दर्शन में पुनर्जन्म की अवधारणा*
Ravi Prakash
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
हँसाती, रुलाती, आजमाती है जिन्दगी
हँसाती, रुलाती, आजमाती है जिन्दगी
Anil Mishra Prahari
"आशा" के कवित्त"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"फूल बिखेरता हुआ"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहे
दोहे
सत्य कुमार प्रेमी
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
ख़ान इशरत परवेज़
सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक
लक्ष्मी सिंह
आ गए हम तो बिना बुलाये तुम्हारे घर
आ गए हम तो बिना बुलाये तुम्हारे घर
gurudeenverma198
नादान पक्षी
नादान पक्षी
Neeraj Agarwal
तेरा ही नाम ले लेकर रोज़ इबादत करती हूँ,
तेरा ही नाम ले लेकर रोज़ इबादत करती हूँ,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
महा कवि वृंद रचनाकार,
महा कवि वृंद रचनाकार,
Neelam Sharma
Tlash
Tlash
Swami Ganganiya
Loading...