Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Nov 2023 · 1 min read

*परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया (हिंदी गजल)*

परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया (हिंदी गजल)
_________________________
1)
परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया
धरती की यह रीति पुरानी, मरण दौड़ फिर आया
2)
बदल रहा है मौसम पल-पल, जाड़ा गर्मी वर्षा
क्रम है पतझड़ फिर वसंत का, सदियों ने दोहराया
3)
खुशकिस्मत वाले पाते हैं, आयु वर्ष सौ लंबी
जीवन का हर अनुभव गाढ़ा, सिर्फ उन्होंने पाया
4)
मरण-पाश में बॅंध जाना है, साधारण-सा किस्सा
धन्य-धन्य सॉंसों ने जिनको, अमर-तत्व समझाया
5)
क्या रक्खा है कुछ पाने में, या पाकर खोने में
जब जाता है मनुज धरा से, रहता धरा-धराया
—————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

1 Like · 344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
आगाह
आगाह
Shyam Sundar Subramanian
तुम नहीं हो
तुम नहीं हो
पूर्वार्थ
बरसात
बरसात
Swami Ganganiya
हाइकु - 1
हाइकु - 1
Sandeep Pande
*वो मेरी मांँ है*
*वो मेरी मांँ है*
Dushyant Kumar
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
Taj Mohammad
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
डॉक्टर रागिनी
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
Phool gufran
डॉ. ध्रुव की दृष्टि में कविता का अमृतस्वरूप
डॉ. ध्रुव की दृष्टि में कविता का अमृतस्वरूप
कवि रमेशराज
Enchanting Bond
Enchanting Bond
Vedha Singh
मैं मेरी कहानी और मेरी स्टेटस सब नहीं समझ पाते और जो समझ पात
मैं मेरी कहानी और मेरी स्टेटस सब नहीं समझ पाते और जो समझ पात
Ranjeet kumar patre
आकाश से आगे
आकाश से आगे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
!! ख़फ़ा!!
!! ख़फ़ा!!
जय लगन कुमार हैप्पी
गंगा से है प्रेमभाव गर
गंगा से है प्रेमभाव गर
VINOD CHAUHAN
"फ़ुरक़त" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
🥀*✍अज्ञानी की*🥀
🥀*✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आने जाने का
आने जाने का
Dr fauzia Naseem shad
कभी कभी एक पल
कभी कभी एक पल
Mamta Rani
ढूंढें .....!
ढूंढें .....!
Sangeeta Beniwal
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
सत्य कुमार प्रेमी
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सोचने लगता हूँ अक़्सर,
सोचने लगता हूँ अक़्सर,
*प्रणय*
"नजरें मिली तो"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक –  अंत ही आरंभ है
मुक्तक – अंत ही आरंभ है
Sonam Puneet Dubey
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
शेखर सिंह
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
Acharya Rama Nand Mandal
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेरा केवि मेरा गर्व 🇳🇪 .
मेरा केवि मेरा गर्व 🇳🇪 .
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ज़िंदगी जी तो लगा बहुत अच्छा है,
ज़िंदगी जी तो लगा बहुत अच्छा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरा वतन
मेरा वतन
Pushpa Tiwari
Loading...