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5 Dec 2020 · 2 min read

परसों का अखबार

परसों का अखबार

वह मेरे कमरे की टेबल पर पड़ा था। 2 दिन पुराना हो चुका था। लेकिन उसमें कुछ नया था। हालांकि वह मात्र एक अखबार था। लेकिन खबर जीवंतता प्रदान करने वाली थी जिसकी नायक हसनपुर अमरोहा की रेखा थी। खबर का शीर्षक था “हादसे ने छीन लिए दोनों हाथ तो मुंह से थाम ली कलम” चलिए थोड़ा जान लेते हैं रेखा के बारे में। हसनपुर के गांव रझौंहा की रहने वाली रेखा चौहान के 6 वर्ष की उम्र में चारा काटते समय मशीन में आकर दोनों हाथ कोहनी तक कट गए। उसके उस दर्दनाक समय की आंख बंद कर कल्पना कीजिए आप लोगों की रूह काँप उठेगी। रेखा दोनों हाथ खो चुकने के बाद भी हिम्मत हारने को तैयार नहीं थी। एक ओर रेखा जिंदगी जीने को दृढ़ थी तो दूसरी ओर लोगों द्वारा उसके परिजनों को सुझाव दिया जा रहा था कि रेखा को जहर का इंजेक्शन देकर मौत दे दी जाए क्योंकि उनकी सोच थी कि ऐसी जिंदगी जीने से अच्छा मरना है। रेखा विकल्प तलाश रही थी। शुरू में पैर से लिखने की कोशिश की लेकिन बात ना बनी तो आखिर उसने मुंह में कलम दबा कर लिखने की कोशिश की। कुछ ही दिनों में उसके लेखन में सुधार आया। दिन रात एक कर के वह मुंह से लिखने में पारंगत हो गई। 1-1 क्लास मेहनत कर पास कर ली। स्कूल के साथ- साथ पूरा गांव उसकी इच्छा शक्ति का कायल हो गया। और रेखा की कहानी जब मैंने अखबार में पड़ी तो मुझ से रहा न गया मैंने खबर को काट अलग कर संभाल कर रख लिया। उसने सदरपुर के इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट पास किया। कोरोला के डिग्री कॉलेज से B.A. की। शकुंतला यूनिवर्सिटी से 2016 में B.Ed की डिग्री पूरी कर ली। फिलहाल गांव में रहकर टीईटी की तैयारी कर रही है। रेखा जैसी बहुत सी कहानियां है जो उन लोगों का हौसला बढ़ाती है जो जीवन में हार मान लेते हैं। “रेखा अभाव में प्रभाव दिखाने वाली लड़की है” और उसके परिजन उम्मीद से साथ निभाने वाले परिजन है।
रेखा को दिल❤️ से सैल्यूट
©®
✍️ विजय महाजन प्रेमी
05.12.2020

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 446 Views
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