परवाह को, मिले परवाह l
परवाह को, मिले परवाह l
तब निगाह से, मिले निगाह ll
अब प्रीत का, प्रवाह प्रवाह l
रति-पति कहे है, वाह वाह ll
जीवन परम सुख, यही रहे l
पर अति प्यास करती तबाह ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न
परवाह को, मिले परवाह l
तब निगाह से, मिले निगाह ll
अब प्रीत का, प्रवाह प्रवाह l
रति-पति कहे है, वाह वाह ll
जीवन परम सुख, यही रहे l
पर अति प्यास करती तबाह ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न