‘परवाना’
रोशन शमा से जब हुई रात,
परवाना इक मचलने लगा।
चाहत में वो उस चमक की,
उसके पास से गुज़रने लगा।
गुजरने से हल्की सी हवा ने,
शमा का तन जब छू लिया।
झूमती हुई शमा को देखकर,
परवाने को कुछ भ्रम हुआ।
गुनगुनाते हुए वो खुशी खुशी,
शमा से मिलने को जब गया।
कहानी तब अधूरी ही रह गई,
जब परवाना लो में जल गया।
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