परवाना रूठ गया
*******परवाना रूठ गया*********
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हम से तो लगे सारा जमाना रूठ गया
जो था सबसे प्यारा मस्ताना रूठ गया
रहगुजर का साथी आस्तीन का सांप
छोड़ तन्हाई में तन्हा दीवाना रूठ गया
खुद से ज्यादा चाहा वो बेवफा निकला
शमां जलती छोड़के परवाना रूठ गया
वो खुश इस कदर जैसे कुछ नहीं हुआ
तन मन लूट कर वो लूटेरा है रूठ गया
अकेलापन एकांत में नाग सा है डसता
मन में जहर फैला जहरीला रूठ गया
मंजिल मिल नहीं पाई रास्ते हैं छूट गए
राह में अकेला छोड़ राहगीर रूठ गया
खेल खिलाए प्रेम के जीवन में बेइंतहा
खेल कर जिन्दगी से मदारी रूठ गया
सुपने दिखाए संग जीने के साथ साथ
स्वप्न हसीन दिखा स्वप्नकारी रूठ गया
रंग बिरंगी दुनिया रंगों में सदा हरी भरी
रंग फीका जिंदगी का रंगीला रूठ गया
सुखविंद्र जिन्दगी में है तमाशा बन गया
तमाशा बना कर तमाशबीन रूठ गया
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)