परवाज़ कितनी है परिंदों की जान लेते है।
परवाज़ कितनी है परिंदों की जान लेते है।
इश्क करने वाले दिलों को पहचान लेते है।।1।।
बड़ा तजुर्बा पाया है यूं दुनियां में लोगों से।
रिश्ता निभाने वाले को हमतो जान लेते है।।2।।
ढूंढ़ ही लेंगे कहां तक घाटियों में जाओगे।
बर्फ पे जानें वाले छोड़ पैरे निशान देते है।।3।।
कहते है सब वहां पुराना खजाना गढ़ा है।
लालच के चक्कर में लोग जां गवां बैठे है।।4।।
इक तेरी मोहब्बत में यूं मशहूर हो गए है।
ख़ुद को जहां में हम बदनाम करा बैठे है।।5।।
सबके सामने हम यूं तो हंसते ही रहते है।
पर वीराने में नजरों से अश्क बहा लेते है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ