परवर दीगार
२५)
” परवर दीगार ”
ए खुदा
परवर दीगार
सुनता है तू
सबकी पुकार
अब सुन तू
मेरी भी पुकार ।
हम सब
तेरे नेक बंदे हैं
मुश्किल में फंसे हैं
न जाने कैसी
आपदा आई है
ये तेरी हमसे
कैसी लापरवाही है
वतन मेरा दुखी है
क्या खता हमसे हुई है
तू जरा तो रेहम कर
हम नाशुकरों पर
अब मान जा ए खुदा
दे दे बख्शीश ए खुदा।
तेरी नेमत से
सब पार होंगे
बुरा समय आया है
पलटा दो इसे
अपनी रेहमत
हम पर बरसा दे तू
ए अल्लाह
करम तेरा बनाए रख तू
दिलों में हमारे
आशा जगाए रख तू
जानते हैं हम
दर से तेरे
कोई खाली न गया
झोली भर दे हमारी
कोई यहाँ से
नाराज़ होकर न गया।
आए हुए संकट को
तू कर दे हमसे दूर
छिना इसने हम
सबके चेहरे का नूर
पढ़ते हैं हम
सब तेरा क़ुरआन
इंशाअल्लाह होगी
हमारी मुश्किल आसान
ए खुदा
परवर दीगार।
स्वरचित और मौलिक
उषा गुप्ता, इंदौर