परवरिश
बहुत दिनों के बाद सुरेखा घर आई थी हमनें बीएड साथ में किया था । बातें करते – करते वो अपने किसी दोस्त के बारे में बताने लगी ।
मुझे उसके बेटे की फोटो दिखाती हुई बोली ” देख कितना प्यारा है और कपड़े भी कितने स्टाइलिश पहनाती है अपने बेटे को । ”
बच्चा वाकई बहुत प्यारा है मैंने मुस्कुरा कर अपनी सहमती जताई ।
” अरे कामिनी तुझे क्या बताऊं मेरी दोस्त रीता ने अपने बच्चे की परवरिश बहुत अच्छे ढंग से की है । ”
” ऐसा क्या ख़ास किया है ज़रा मैं भी तो सुनूं ? मैने उत्सुकता वश उससे पूछा । ”
” जानती है तू उसने उसको हिन्दी बोलने ही नही दिया अब देख उसका बेटा क्या फर्राटे से इंग्लिश बोलता है । ”
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 04/01/2022 )
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