सदा ही पूज्य राम प्रतीक, मन की कामनाओं के
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सदा ही पूज्य राम प्रतीक, मन की कामनाओं के
निरंतर भक्ति से उत्पन्न, प्रतिपल आस्थाओं के
इन्हें ही मानते हैं रब, इन्हें ही पूजते हैं सब
ये हैं भूलोक में आदर्श, सारे देवताओं के
बने नर श्रेष्ठ कैसे प्रभु, ये रामायण बताएगी
चितेरे हैं कुशल श्रीराम, जन की भावनाओं के
सभी के घर में हो उत्पन्न सुत श्री राम जैसा ही
हिया में उठते हैं ये भाव, सब बच्चों की माओं के
दुखों के भाव हरते प्रभु, सुखों की भावना भरते
हृदय में तार बजते मित्र, स्वत: ही प्रार्थनाओं के