परदेस से चिठ्ठी आयी है।
देखो तो परदेस से चिटठी आयी है।
मुद्दातों बाद उसकी खबर आयी है।।1।।
पढ़के नजर अश्क से भर आयी है।
जो उनके आमद की खबर आई है।।2।।
अरसा हुआ उनको देखे नजरों से।
देखो तो राहत खुद ही घर आई है।।3।।
उसने हाथों में मेहदी लगवायी है।
आज उसकी दुख्तर की सगाई है।।4।।
बडा इन्तजार था उसको इसका।
जो चांदे – रात ज़िन्दगी में आई है।।5।।
हम ही खराब थे जो जी ना पाये।
जिन्दगी धोखा देकर मुस्कुराई है।।6।।
ऐसा लगा कोई पीछे से आया है।
मुड़के देखा अपनी ही परछाई है।।7।।
निकाह हो गया देखो उसका भी।
नई दुल्हन सभी से ही शरमाई है।।8।।
उन्होंने कर दिया ऐलान सबको।
मोहब्बत कभी भी ना घबराई है।।9।।
तबर्रुक समझ कर भिजवाई है।
खा लेना जहर नहीं ये मिठाई है।।10।।
मौत हर किसी को सुकू देती है।
ये ज़िंदगी तो करती बेवफाई है।।11।।
खूब जिया है उसने यूं गमों को।
रब ने अब खुशियाँ भिजवाई है।।12।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ