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19 Jan 2022 · 1 min read

परदेशीया

एह धरती से बड्ड पियार करू
ओकर नैय छै कोनो मोल
मुदा
विधाता परदेश लिखलथि
हाय रे भाग्य
भेलहुँ माटि सँ बहुते दूर
अपन रहै सभ
आब दुलार कहाँ छै

माय केर समाद
बजैतहु हम्मे कखनो
खसै छै खाली नोर
अतह सँ ओतह धरि
सभ्भे भीजल ही भीजल
छियै बस हम्मे परदेशीया

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
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