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10 Nov 2017 · 2 min read

परछाई

आज मन्नू माँ के देहांत के बाद पहली बार घर आई है ।सब कुछ पहले जैसा है । घर में सब समान भी पहले की तरह अपनी जगह है ।बस माँ ही नहीं दिख रही । ऐसा लग रहा है जैसे बस पड़ोस में गई होगी ।

मन्नू को बहुत सूनापन लगा। पर वह पापा को तो देखती ही रह गई। अचानक कितने बूढ़े लगने लगे हैं । जब माँ ज़िंदा थी तब तो उनका रौब ही अलग था । हर समय सक्रिय और तैयार । उन्हें तो वक़्त ही नहीं था माँ के पास बैठने का । कभी अपनी किताबों में डूबे रहते थे कभी अपने दोस्तों के साथ व्यस्त रहते थे। बैठक में खूब महफिल जमती थी और माँ उनकी आवाभगत में व्यस्त रहतीं। पर कभी माँ के माथे पर एक शिकन भी न आती थी। पापा जब माँ की तारीफ करते तो बस उसमें ही खुश हो जाती थी। लेकिन माँ के जाने के बाद तो पापा बिल्कुल बदल गए।

भाभी ने ही बताया ,” अब पापा का कहीं जाने का मन ही नही करता ।न अब वो किताबों को हाथ लगाते हैं, बस बैठे2 दीवारें घूरते रहते हैं।खाना दो तो चुपचाप खा लेते हैं। कुछ बोलते ही नहीं।”

मन्नू भाई को भी अचानक ज्यादा जिम्मेदार और भाभी को मुखर होते हुए देखा । क्योंकि अब सारे घर की जिम्मेदारी भाभी पर आ गई थी , भाभी बहुत व्यस्त दिखाई दीं । मन्नू ने देखा जो काम पहले माँ से पूछ कर होते थे वो भाभी से पूछ कर होते हैं । माँ की तरह भाभी पल्लू में चाबी का गुच्छा बांधे पूरे घर को माँ की तरह कुशलता से चला रही हैं । पापा का भी पूरा ध्यान रख रहीं हैं । मन्नू जितने दिन भी रही वो दीवारों ,अलमारियों खिड़कियों , कपड़ों ,कोनों ,किताबों सबमे गुमसुम सी माँ को ही ढूंढती रही । लेकिन भाभी ने उसको अपनेपन का अहसास कराने में कोई कसर नहीं रखी।

आज उसे वापस जाना है । उसके पति उसे रोहित लेने आये हैं ।मन्नू ने देखा उनका स्वागत भाभी ने वैसे ही कर रही हैं जैसे माँ करती थी । लौटते वक्त विदाई भी ठीक उसी तरह । भाभी ने हर छोटी छोटी बात का ध्यान रखा। मन्नू की आंखें भर आईं जब चलते समय भाभी ने गले लगाकर कहा,” जिज्जी जल्दी आना मैं राह देखूंगी” तो मन्नू को लगा भाभी के पीछे एक परछाई खड़ी है । अरे ये तो माँ है। फूट 2 कर रो पड़ी मन्नू और बोली,” हाँ हाँ ‘भाभी माँ ‘ जल्दी ही आऊंगी । और गाड़ी में बैठ गई । और उधर भाभी सोच रही थी आज जिज्जी ने मुझे भाभी माँ क्यों कहा ???

डॉ अर्चना गुप्ता
08-11-2017

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 929 Views
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