Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2022 · 1 min read

परछाई से वार्तालाप

पूछ लिया मैने परछाई से आज,
क्यो तू चलती है मेरे साथ साथ।
परछाई ने भी हंस कर पूछ लिया,
बता,कौन चलता है तेरे साथ साथ।।

चलती हूं सदैव निस्वार्थ मै तेरे साथ,
लोगो का साथ मिलता स्वार्थ के साथ।
बता तूही स्वार्थी है कौन तेरे लिए,
जो छोड़ देते है तुझे स्वार्थ के साथ।।

मै घूमती रही दिन भर तेरे ही साथ,
हर सफ़र में मिलाया तेरे से हाथ।
बता,अंधेरे में छोड़ कर जाता तू कहां,
मै ढूंढती रहती हूं तुझे अंधेरों के साथ।।

चलती हूं मै बिना परख के तेरे साथ,
छोड़ देते है तुझे लोग परखने के बाद।
तू क्यों नही परखता सभी लोगो को,
जो चलते है तेरी ज़िंदगी के हमेशा
साथ।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 535 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
"" *माँ के चरणों में स्वर्ग* ""
सुनीलानंद महंत
रुकती है जब कलम मेरी
रुकती है जब कलम मेरी
Ajit Kumar "Karn"
19. कहानी
19. कहानी
Rajeev Dutta
कलाकार
कलाकार
Shashi Mahajan
शालिग्राम तुलसी कहलाई हूँ
शालिग्राम तुलसी कहलाई हूँ
Pratibha Pandey
सफलता
सफलता
Vandna Thakur
कोई आज भी इस द्वार का, सांकल बजाता है,
कोई आज भी इस द्वार का, सांकल बजाता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरे अंदर भी इक अमृता है
मेरे अंदर भी इक अमृता है
Shweta Soni
बिखरा
बिखरा
Dr.Pratibha Prakash
काश, मैं मोबाइल होता
काश, मैं मोबाइल होता
अरशद रसूल बदायूंनी
ड़ माने कुछ नहीं
ड़ माने कुछ नहीं
Satish Srijan
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अपना कोई वजूद हो, तो बताना मेरे दोस्त।
अपना कोई वजूद हो, तो बताना मेरे दोस्त।
Sanjay ' शून्य'
तपन ने सबको छुआ है / गर्मी का नवगीत
तपन ने सबको छुआ है / गर्मी का नवगीत
ईश्वर दयाल गोस्वामी
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
पूर्वार्थ
4486.*पूर्णिका*
4486.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शीर्षक:
शीर्षक:"बहन मैं उसे
Harminder Kaur
******** प्रेरणा-गीत *******
******** प्रेरणा-गीत *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
काबिल बने जो गाँव में
काबिल बने जो गाँव में
VINOD CHAUHAN
*माहेश्वर तिवारी जी से संपर्क*
*माहेश्वर तिवारी जी से संपर्क*
Ravi Prakash
..
..
*प्रणय*
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
Kumar lalit
राम भजन
राम भजन
आर.एस. 'प्रीतम'
आत्मशुद्धि या आत्मशक्ति
आत्मशुद्धि या आत्मशक्ति
©️ दामिनी नारायण सिंह
पागल बना दिया
पागल बना दिया
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
गीत
गीत
Shiva Awasthi
"बगैर"
Dr. Kishan tandon kranti
पुरुषार्थ
पुरुषार्थ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
Loading...