परछाई से वार्तालाप
परछाई से वार्तालाप
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पूछ लिया मैने परछाई से आज,
क्यो तू चलती है मेरे साथ साथ।
परछाई ने भी हंस कर पूछ लिया,
बता,कौन चलता है तेरे साथ साथ।।
चलती हूं सदैव निस्वार्थ मै तेरे साथ,
लोगो का साथ मिलता स्वार्थ के साथ।
बता तूही स्वार्थी है कौन तेरे लिए,
जो छोड़ देते है तुझे स्वार्थ के साथ।।
मै घूमती रही दिन भर तेरे ही साथ,
हर सफ़र में मिलाया तेरे से हाथ।
बता,अंधेरे में छोड़ कर जाता तू कहां,
मै ढूंढती रहती हूं तुझे अंधेरों के साथ।।
चलती हूं मै बिना परख के तेरे साथ,
छोड़ देते है तुझे लोग परखने के बाद।
तू क्यों नही परखता सभी लोगो को,
जो चलते है तेरी ज़िंदगी के हमेशा साथ।।
देती है परछाई सदैव सब का साथ,
जो सुख दुख में चलती सबके साथ।
जिंदगी में हर समय ये चलती रहती,
मरते दम तक कभी छोड़े न ये हाथ।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम