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31 Mar 2023 · 1 min read

परख कीजिये या ना ।

परख परखते रह गये,
परख न पाया संसार,
जो पारिख कर जाए,
जौहरी गुण तामे पाये।…….(१)

पल में परख न होए,
परखने में जीवन गुजर जाए,
ऐसे परख ना किजिये,
आपन उम्र भूल जाए।………(२)

परख क्षण में हो जाए,
बिन परखे प्रकट हो जाए,
सत्य आपने आप दिख जावे,
जो परखे उसके हाथ न आए।…….(३)

परख मन की नहीं आसान,
मन हर क्षणिक बदल जाए,
जाके मन पावन होए,
परखने की जरुरत नाहींं।………(४)

परख करो अविश्वास की,
विश्वास को जरुरत नाहींं,
पारखी होत जहाँ अविश्वास है,
विश्वास होए परखने का ना दोष।…….(५)

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

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