परखने पर मिलेगी खामियां
तू मुझे परखता है
जग तुझे परखता है
तुझे क्या मिलता है
जब तू मुझे परखता है
दूरियां बढ़ती है
जब तू उसे परखता है
अविश्वास झलकता है
जब तू उसे परखता है
परखकर ही भेजा है उसे
रब ने पास तुम्हारे, तू जानता नहीं है
है ये सब उसकी ही माया
जाने तू ये बात, क्यों मानता नहीं है
खुदा नहीं है वो कोई
जो उसमें न हो खामियां
परखने पर मिलती है
कुछ न कुछ खामियां
ढूंढेगा तुममें भी अगर कोई
मिल जाएगी कई खामियां
पहले सोच लो इतना तुम
दूसरों में, ढूंढने से पहले खामियां
ढूंढने में तो मिल जाती है
खुदा में भी खामियां
बीत जायेगी ये ज़िंदगी और
तुम ढूंढते रह जाओगे, सिर्फ खामियां।