पप्पू और पॉलिथीन
पप्पू और पॉलिथीन
(हास्य /व्यंग्य)
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एक बार पप्पू बाजार गया सब्जी खरीदने,
देखा कि सब्जीवाली सब्जी बेच रही है,
परन्तु उसे पॉलिथीन में भरभर कर।
पप्पू को ध्यान आया अपने पर्यावरण का,
वो बेकाबू हुआ उस महिला पर,
कहा, उस महिला से कि..
ससुरी क्यों बेच रही हो ,
पचास माइक्रोन से कम मोटाई का पोलिथिन..?
बहुत नुकसान होगा हमारे पर्यावरण का,
महिला ने अचरज भरी नजरों से ,
उसे देखते हुए बोली ,
काहे हमरा पर बरसते हो साहब।
कोनो हम बनावत रहनी,
जाए के ओ फैक्ट्री काहे ना बंद करवादेत हो,
जेकरा में अईसन जहरीला चीज बनेला।
अब पप्पू पर गया सोच में,
बनाने वाला दोषी कि,
उपयोग करेवाला दोषी।
वो पता पुछते चला गया फैक्ट्री,
जहाँ पाॅलिथीन निर्मित हो रहा था।
रोबदार शब्दों में उसने,फैक्ट्री मालिक पर बरसा।
तुरंत उत्पादन बंद करो इस पाॅलिथीन का।
फैक्ट्री मालिक ने मुस्कुराते हुए जबाब दिया,
आइए साहब और अंदर आकर देख लीजिए ,
देखिए तो पाॅलिथीन कैसे बनता है…
हम तो बस दुसरे फैक्ट्री से ,
प्लास्टिक दाना मंगवाते है ,
तब उससे पाॅलिथीन बनता है ,
पप्पू अंदर घुसकर देखा तो ,
एक छोटी सी मशीन कमाल की,
इधर से प्लास्टिक दाना डालो ,
उधर से पालीथीन निकालो।
प्लास्टिक दाना देखकर ,
पप्पू का दिमाग चकराया ।
उसने पुछा,ये प्लास्टिक दाना क्या होता है ?
ये कहां और कैसे बनता है ?
असली दोषी कौन है ?
किसी तरह पता मालूम कर वो उस प्लास्टिक दाना
निर्माण करनेवाली फैक्ट्री पर पहुंचा ,
वहाँ पर खोजबीन की तो,
पता चला कि, अरे ! ई तो इथीलिन से
एक रासायनिक प्रक्रिया द्वारा,
पाॅलीमेराइजेशन के फलस्वरूप तैयार होता है।
उसने फैक्ट्री के मालिक को जब पुछा तो,
उसने झल्लाहट भरे स्वर में उत्तर देते हुए कहा कि,
हमसे काहे पुछते हो साहब,
उस वैज्ञानिक से क्यों नहीं पुछ लेते,
जिन्होंने इसे पहली बार बनाया।
हम तो पहले कागज से ही थैले बनाते थे,
जो एक बार प्रयोग करने पर
खुद-ब-खुद नष्ट हो जाता था।
पॉलिथीन का औद्योगिक आविष्कार तो,
नार्थ इंग्लैंड के एरिक और गिब्सन ने की।
उन्होंने इथिलीन को बेंजलडिहाइड से भारी दबाव पर , मिश्रित करके इसे पहली बार बनाया था ।
अब पप्पू को रहा नहीं गया ,
उसने आविष्कार करनेवाले वैज्ञानिक का ,
मोबाइल नंबर मांग डाला ,
फैक्ट्री मालिक अचम्भित होते हुए बोला,
अब हम उसका नबर कहाँ से लाये ?
वो तो सैकड़ों वर्ष पहले भगवान को प्यारा हो गया ।
अब पप्पू, फैक्ट्री मालिक से बोला…
जल्द बताओ,.. ये भगवान कहाँ रहता है.. ?
ये सुनकर, फैक्ट्री मालिक परेशान हो गया,
कुछ क्षण रुककर वो बोला…
भगवान तो सब जगह है।
आपके और मेरे दिल के अंदर भी रहता है।
फिर तो पप्पू निराश होकर,
अपनी मम्मी के पास लौट आया,
और बोला अपनी मम्मी से कि..
इस संसार से,बुराई कैसे खत्म होगी जबकि,
हम सभी खुद ही इन समस्याओं के जड़ में शामिल है !
हम तो कोई भी काम, सोच समझ कर सकते ही नही ।
देखो,एक अच्छे आविष्कार का
कितना बुरा हश्र हुआ है … ???
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १० /०४ /२०२२
चैत,शुक्ल पक्ष,नवमी ,रविवार
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201