पनघट गायब हो गए ,पनिहारिन अब कौन
पनघट गायब हो गए ,पनिहारिन अब कौन
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पनघट गायब हो गए ,पनिहारिन अब कौन
लोक-कथा में रह गई , घटना केवल मौन
घटना केवल मौन , न पानी भरने जाती
मटकी लेकर चित्र ,नायिका सिर्फ खिंचाती
कहते रवि कविराय ,भरो अब नल से झटपट
पानी भरने कौन , आजकल जाती पनघट
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पनघट = कुआँ या घाट जहाँ से पानी भरते हैं
पनिहारिन = वह स्त्रियाँ जो पनघट से पानी भरती हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर ( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451