पद
हलधर , ठेके पर रहियो जाइ l l
हल और बैल बिक गए , बाकी खेत रहेंगे बिकाइ l l
नेता -प्रधान देश को कहते उलट , कृषी प्रधान,
हुए भगोडे कारीगर सब , शहर परे भैराइ ll
मीरासी अब मीर कहावें , माथा दैहि नंवाय,
गौरा पंत ” शिवानी” को है ? पूछें कहा बताइ !
बरसत लछमी ठेकन पर , सरसुति बड़ी लजाइ,
बिना श्रम, छिरकत खुशबू सब , कहौ करौ का जाइ ll
सीख बड़ेन की नहिं सुहावे , देवें गाल बजाइ ,
हे प्रभु! ये रस्ते पर आवें , मारग देव सुझाइ ll